गुरुवार, 11 अगस्त 2011

रक्षा करो अन्नदाता की

अरे किसान की कौन सुने
सत्ता का खेल जारी है

जंगल जमीन सब छीन रहे
अब पानी की बारी है

सुन सकते हो लालबहादुर
क्या हुआ तुम्हारा नारा

जो अधिकारों की मांग करे
वो मारा जाय बेचारा

पुलिस कर रही हत्याएं
और सरकारें सोती हैं

आह, चार को मार दिए
भारत माता भी रोती हैं

वो किसान हैं कहाँ जांय
क्या करें तुम्ही बतलाओं

रक्षा करो अन्नदाता की
स्वर्ग से वापस आओ