शुक्रवार, 25 जून 2010

आप मर गये हो ? माफ़ करना मुझे नहीं पता था !

आप जनता हों ? अच्छा ! इसीलिए आप इतना हल्ला मचा रहे है. इतना हल्ला मत मचाओं. क्या आपको पता नहीं कि सरकार यह सब आपके भले के लिए कर रही है आप कमोडिटी का व्यवसाय शुरू कीजिये, सट्टेबाजों के साथ मिलकर पेट्रोलियम पदार्थों के फ्यूचर ट्रेडिंग के बारे में सोचिये, मुनाफा कमाईये. अनायास महंगाई-महंगाई चिल्ला रहे हो. भाई बाजार का जमाना है बेचारी भोली-भाली हमारे देश की सरकार पेट्रोलियम को बाजार के हवाले कर दिया है. आपको नहीं पता क्या कि विश्व बैंक का दबाव है भाई राजकोषीय घाटा कम करने का. अगले 12 महीनों में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 फीसदी पर आ जाएगा। क्या आपको नहीं पता कि भारत सरकार ने 3 जी व ब्रॉडबैंड की नीलामी से 1.10 लाख करोड़ जुटा लिए। और 40,000 करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों के विनिवेश से आ जायेंगे उर्वरक और तेल मूल्यों पर नियंत्रण हटने से सरकार के ऊपर से सब्सिडी का भारी बोझ हट जाएगा। 2010 तक जीडीपी को 12 % तक ले जाना है. आपकी वजह से स्विश बैंक के खाते नें जंग थोड़ी लगानी है..... कुछ न कुछ तो डालना ही पड़ेगा. सरकार सत्ता और उसके बैभव को छोड़कर सभी चीजों से अपना नियंत्रण हटा रही है तो तेल से भी हटा रही है तो आपके ऊपर कौन सा पहाड़ गिर गया.......
आप डरो मत आप सरकार के सम्मानित उपभोक्ता है सरकार आपकी चीरचुप्पी की कायल है इसीलिए सरकार नें आपके ऊपर दरियादिली दिखाते हुए आपको नागरिक से उपभोक्ता बना दिया है आप ऐसा कभी मत सोचना कि सरकार आपके बारे में चिंतित नहीं है देखते नहीं सरकार आपको बीपीएल के रूप में देखने का सपना देख रही है.आपको पता नहीं क्या अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो सरकार पिछड़ जायेगी उसकी बदनामी होगी. एनडीए से पीछे क्यों रहे एनडीए ने 1998 से 2004 के बीच पेट्रोल के दाम में पचास फीसदी से भी ज्यादा, डीजल के दाम में करीब 111 फीसदी, रसोई गैस में करीब नब्बे फीसदी और केरोसिन तेल के दाम में तीन सौ फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की।जब 1998 में एनडीए ने सत्ता की बागडोर संभाली पेट्रोल करीब 23 रुपये लीटर था जो 2004 में 34 रुपये लीटर तक पहुंचा। डीजल 10.25 रुपये से बढ़कर 21.74 रुपये तक पहुचा इसी तरह रसोई गैस के दाम 136 से उछल कर 242 रुपये तक पहुंचे। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी केरोसिन के तेल में ढाई रुपये से सीधे नौ रुपये हुई जो तीन सौ फीसदी से भी ज्यादा है ................
आपने नहीं सुना था क्या अमेरिकियों का चिंतायुक्त बयान कि भारतीय अच्छा खाना खाने लगे है उसी को तो रोक रहे है मनमोहन जी........... इसमें गलत क्या है......... आप इतना अच्छा क्यों खाते हैं ? आप अगर अपने आप पर कंट्रोल नहीं करेंगे तो सरकार तो करेगी ही क्योंकि आपने ही इसका दायित्व सरकार को दिया है. आपका पेट भरा है, आप स्वस्थ है ऐसा अनैतिक क्यों कर रहे है आप ? आप भूंखे रहिये, आप बीमार हो जाईये इसी में आपकी नैतिकता है ।
आपको पता नहीं है कि अमेरिका में मंदी है आखिर आप ही बताओं बिना आपके लूटे सरकार अमेरिका के बैभव वापस लाने में कैसे अपना योगदान दे पायेगी. अगर अमेरिका का बैभव वापस नहीं आएगा तो आप अमेरिका में बसने का सपना कैसे देखेगे ? आखिर यह सब आपके भले के लिए ही हो रहा है न.........
आप तो जानते है न कि मनमोहन विश्वबैंक में नौकरी कर चुके है विश्व बैंक की नीति ही है कि गरीबों का निवाला छीन कर अमीरों की थाली में सजाना. आप गरीब क्यों है आप अमीर क्यों नहीं बनते ? इतना अच्छा मौका आपको दुबारा नहीं मिलेगा यह आपकी खुशकिस्मती आपको अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मिला है.............. देखते नहीं आप तेल के लिए अमेरिका कितनों को तबाह कर दिया शुक्र है आप बचे हुए हो. लेकिन आप तो चुप हो आप क्यों कुछ बोलते नहीं....... महंगाई नें आपका तेल निकाल दिया है... ओ हो........ आप भारत की जनता हो आप मर गये हो माफ़ करना मुझे नहीं पता था नहीं तो मै इतनी उल्टियाँ नहीं करता.