मंगलवार, 22 जून 2010

४९८ (ए) का शिकार एक और परिवार

महिलाओं को दहेज उत्पीड़न के सुरक्षाकवच के रूप में ४९८ (ए) एक ऐसा हथियार मिल गया है कि वे अब इसका जरूरत से ज्यादा दुरूपयोग करने लगी हैं इस समय देश में दहेज उत्पीड़न के मुकदमों की बाढ़ सी आ गई है दहेज उत्पीड़न के मुकदमें दर्ज कराने में महिला संगठन अग्रणी भूमिका निभा रही हैं इसकी एक बानगी देखने को मिली जब सुबह १० बजे ऑफिस में आया। अभी आफिस पहुंचा भी नहीं था कि एक घबराया हुआ युवक ऑफिस में आया नाम पूछने पर पता चला कि उसका नाम विकी डे था । वह बंगलूरू स्थित एक्सेंचर नामक आउटसोर्सिंग कंपनी में काम करता है उसने इंटरनेट पर हमारे बारे में पता करके हमारे पास आया था।
पूछने पर उसने जो अपने परिवार के उत्पीड़न की कहानी बताई उससे मेरे सामने दहेज उत्पीड़न ४९८ (ए) के माध्यम से बेकसूर ससुराल वालों को एक महिला द्वारा सामाजिक और मानसिक प्रताड़ना की एक कहानी फिर से आ गई कि आखिर एक महिला झूठी शिकायत करती है तो पति और उसके बूढ़े माँ- बाप और रिश्तेदार फ़ौरन ही बिना किसी विवेचना के गिरफ्तार कर लिए जायेंगे और गैर-जमानती टर्म्स में जेल में डाल दिए जायेंगे, भले चाहे की गई शिकायत फर्जी और झूठी ही क्यों न हो ! आप शायद उस गलती की सज़ा पायेंगे । जो आपने की ही नहीं और आप अपने आपको निर्दोष भी साबित नहीं कर पाएँगे अगर आपने अपने आपको निर्दोष साबित कर भी लिया तब तक शायद आप समाज में एक जेलयाफ्ता मुजरिम कहलायेंगे ।
विकी डे नें बताया कि कि उसके भाई विक्रम डे की पत्नी और उसकी भाभी प्रिया मोंडल नें भाई विक्रम सहित उसके बूढ़े माता-पिता और दो बहनों के विरुद्ध वहाँ की एक स्थानीय महिला समिति के सहयोग से दहेज उत्पीडन का स्थानीय पुलिस थाना ऑल वूमन पुलिस थाने में एफआईआर क्रमांक ५९/२०१० भा।द.वि. ४९८ (ए), ३४ के तहत मुकदमा दर्ज कराया है । विकी डे ने बताया कि उसके भाई विक्रम की शादी जब प्रिया से हुई थी उस समय वह दसवी में पढ़ रही थी । उस समय दोनों परिवारों ने यह तय किया था कि बारहवीं तक की पढ़ाई प्रिया अपने मायके में ही रह कर करेगी सो उसने बारहवीं तक की पढ़ाई अपने मायके में ही रह कर की । इस बीच विक्रम की गोवा में अच्छी नौकरी लग गई जब वह विक्रम के घर आई तो विक्रम और प्रिया दोनों ने यह तय किया कि थोड़े दिनों बाद गोवा में घर लेकर वहाँ शिफ्ट हो जायेंगे ।
विकी डे का भाई विक्रम प्रिया के साथ कुछ दिन गुजारने के बाद गोवा चला गया प्रिया विक्रम के माँ-बाप और दोनों बहनों के साथ गुवाहाटी में रहने लगी किन्तु इसी बीच प्रिया के पास किसी अनजान आदमी का फोन आने लगा जिसपर वह घंटों बात करती थी । जब बात करने का सिलसिला ज्यादा बढ़ गया तो विक्रम के माता-पिता को यह नागवार लगने लगा । फोन पर इस गुफ्तगूं से विक्रम की माँ नाराज होकर प्रिया को एक दिन काफी खरी-खोटी सुनायी और कहा कि आइंदा किसी भी आदमी का तुम्हारे पास फोन नहीं आना चाहिए । इस पर प्रिया ने भी विक्रम की माँ का जवाब दिया और वह अपना सामान लेकर अपने मायके चली गई । उसके जाते समय विक्रम की माँ-पिताजी और बहनों ने रोकने की कोशिश की किन्तु प्रिया नहीं मानी । वह विक्रम के परिवार को झिड़क कर अपने मायके चली गई ।
१ मई २०१० को ऑल वूमन पुलिस थाने गुवाहाटी से विक्रम के घर पर शाम को ४।०० बजे पुलिस आई और विक्रम के माँ-बाप को उठाकर थाने ले गई विक्रम की बहन निर्मला डे के काफी अनुरोध करने के बाद तथा १०,००० रूपये लेकर पुलिस ने रात को १० बजे विक्रम के माँ-बाप को निर्मला डे से यह कहते हुए छोड़ा कि बाहर के बाहर मामले को निपटा लो अथवा अपने भाई को गोवा से बुला लो, उसके आने के बाद तुम लोग पुलिस स्टेशन में आ जाओ मैं प्रिया और उसके परिवार को बुलाकर समझौता करवा दूँगा । विक्रम की बहन निर्मला डे ने गोवा फोन कर विक्रम को सारी स्थिती की जानकारी दी और जल्दी से गुवाहाटी आने को कहा लेकिन कंपनी से विक्रम को देर से छुट्टी मिलने के कारण ९ मई २०१० को वह गुवाहाटी पहुँचा । वहाँ पहुँचकर वह सीधे ससुराल यानि प्रिया के माता-पिता के पास गया और उसने समाज में अपने और अपने परिवार के मान-सम्मान का हवाला देते हुए केस उठाने के लिए अनुरोध किया ।
विक्रम ने प्रिया से यह भी कहा कि अगर वह माँ और पिता जी के साथ नहीं रहना चाहती तो हमारे साथ गोवा चलो और वहाँ हमारे साथ रहो किन्तु प्रिया ने विक्रम के साथ कहीं भी जाने से मना कर दिया इतना ही नहीं प्रिया की माँ दुर्गा मोंडल और भाई कार्तिक मोंडल नें विक्रम को बेइज्जत करके अपने घर से निकाल दिया तथा विक्रम के गोवा से आने की सुचना पुलिस को दे दी, पुलिस ने विक्रम और उसके माँ-बाप को थाने में बुलाकर गिरफ्तार कर लिया । तथा विक्रम डे की दोनों बहनों क्रमशः निर्मला डे उम्र २८ वर्ष और बबली डे उम्र १७ वर्ष को गिरफ्तार करने के लिए ढूढ़ने लगी तो निर्मला डे नें बंगलूरू स्थित भाई विकी डे से संपर्क किया । विकी डे नें बंगलूरू से २५,००० रुपया भेजा । जिससे निर्मला डे और बबली डे की अग्रिम जमानत गुवाहाटी उच्च न्यायालय से हो सकी किन्तु अभी भी विकी की माँ सीता रानी डे और पिता निरमोय डे तथा भाई विक्रम डे की अभी भी जमानत नहीं हो सकी है । विकी डे के अनुसार उसकी माँ सीता रानी डे की उम्र ५७ वर्ष और उसके पिता निरमोय डे की उम्र ६३ वर्ष है उम्र के अंतिम पड़ाव पर हमारे माता-पिता को मेरे भाभी प्रिया के कारण यह दिन देखना पड रहा है विकी डे के अनुसार प्रिया और उसके मायके के लोगों ने जान-बूझ कर उसके माता-पिता, भाई और बहनों को झूठे मुकदमें में फंसाया है ।
विकी डे यह कहते कहते कि हमारी भाभी ने हमारे बूढ़े माँ-बाप और भाई को जेल में डलवा दिया है । हमारी बहनों को अग्रिम जमानत लेनी पडी, आखिर उनका क्या दोष है ? क्या भाभी के गलती करने पर हमारे माँ-बाप उसे डाट नहीं सकते इतना कहते कहते उसके ऑख में आँसू आ जाते हैं और वह फफक कर रो पड़ता है । विकी डे बताता है कि उसके भाई की अच्छी-खासी नौकरी जेल में जाने के वजह से चली गई । उसके बहन की भी नौकरी भी झूठे मुकद्दमें के वजह से रोज-रोज के भाग-दौड के कारण खतरे में है विकी डे कहता है कि वह अपने कंपनी में जहां काम करता है वह यह नहीं बता सकता कि उसका पूरा परिवार दहेज उत्पीड़न के झूठे मुकदमें के कारण जेल में है इसलिए उसने अपनी कंपनी से अपनी माँ के बीमारी का बहाना करके छुट्टी लेकर माँ-बाप और भाई को छुड़ाने गुवाहाटी जा रहा है ।
बहरहाल हमने विकी डे और उसके माँ-बाप भाई बहनों के साथ दहेज उत्पीड़न के नाम पर किये जा रहे अत्याचार में विकी और उसके परिवार का गुवाहाटी में संस्था के माध्यम से मदद करने का निर्णय लिया है । हमने संस्था के आसाम राज्य इकाई के पदाधिकारियों से कहा है कि आसाम इकाई के संस्था के वकील के माध्यम से विकी डे की मदद करें और उसके परिवार की जमानत कराएँ । यह मामला संस्था के समक्ष आने पर विकी और उसके परिवार की हमारे तरफ से उन्हें जमानत पर तो रिहा करा दिया जायेगा परन्तु उन लाखों विकी डे और उनके परिवारों की कौन मदद करेगा जो आये दिन ४९८ (ए) के झूठे मुकदमों में फंसाकर प्रताड़ित किये जा रहे हैं ।