गुरुवार, 24 जून 2010

कब रुकेगी इज्जत के खातिर मौत (ऑनर किलिंग) का सिलसिला

इज्जत के खातिर मौत (ऑनर किलिंग) का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है । यह सब सम्मान के नाम पर हो रहा है । सम्मान के नाम पर प्रति वर्ष सैकड़ों युवक और युवतियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है । देश में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान ऐसे राज्य है जहां से लगातार ऑनर किलिंग की घटनाएँ सामने आ रही हैं । बीते रविवार को दो प्रेमी जोड़े को ऑनर किलिंग के भेट चढ़ा दिया गया यह घटना दिल्ली में कुलदीप और मोनिका के साथ तथा हरियाणा में रिंकू और मोनिका के साथ घटी । दिल्ली के अशोक विहार में कुलदीप और मोनिका की जघन्य हत्या कर दी गयी वहीं हरियाणा के भिवानी में रिंकू और मोनिका की हत्या कर फाँसी पर लटका दिया गया ।
इसी बीच महिलाओं और बच्चों के हितों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन [एनजीओ] शक्ति वाहिनी द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय नें काफी सख्त रूख अपनाते हुए केंद्र सरकार और ८ राज्य सरकारों को नोटिस भेजा है । उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश आर।एम. लोढ़ा और न्यायाधीश ए. के. पटनायक नें केंद्र तथा हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड, बिहार, हिमांचल प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों को जवाब-तलब किया है । गैर सरकारी संगठन शक्ती वाहिनी नें उक्त जनहित याचिका के माध्यम से आरोप लगाया था कि केंद्र और राज्य सरकारें इस तरह के अपराधों के रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठा रही हैं । और न ही ऐसे प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देने के लिए कोई पॉलिसी या मैकेनिज्म तैयार कर रही हैं ।

गैर सरकारी संगठन नें जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकारें इस अपराध को चुप्पी साधे मूक दर्शक की तरह देख रही हैं । इनके खिलाफ कानून बनाये जाने के बारे में भी कोई कदम नहीं उठा रहीं है । याचिका के माध्यम से गैर सरकारी संगठन के वकील रविकांत ने मांग की है कि सरकारें इस बावत तैयार की गई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय योजना का खुलासा करें साथ ही सरकारें ऑनर किलिंग के रोकथाम और इसे बढ़ावा देनें वालों (खाप पंचायतों तथा अन्य) के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने हेतु प्रभावित राज्यों के प्रत्येक जिलों में एक स्पेशल सेल बनाएं जहां ऐसे नव विवाहित युवा जोड़े अपनी सुरक्षा के लिए गुहार कर सकें, तथा ऑनर किलिंग रोकनें में मदद मिल सके । इस याचिका में केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है ।

इस मामले पर पत्रकारों से बात करते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोईली नें बताया है कि केंद्र सरकार अगले माह संसद के मानसून सत्र में ऑनर किलिंग मामले पर एक विधेयक लाने पर विचार कर रही है । वीरप्पा मोईली नें बताया है कि इस विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया गया है । इस विधेयक में कई धाराओं को संशोधित कर दोषियों को उचित और आवश्यक सजा देनें के प्रावधान को उल्लेखित किया गया है । उन्होंने कहा है कि इस विधेयक के लागू हो जाने पर ऑनर किलिंग को रोकने में काफी मदद मिलेगी । ऑनर किलिंग के लिए पूरी पंचायत को दोषी ठहराने संबंधी कानून का समावेश इस विधेयक में होना लगभग तय माना जा रहा है ।

ऑनर किलिंग केवल भारत की ही समस्या है ऐसा नहीं है, यह एक वैश्विक समस्या है । पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ नें संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष नामक एक रिपोर्ट जारी की थी । उस रिपोर्ट में बताया गया था कि विश्व में 5000 से भी अधिक प्रेमी जोड़े ऑनर किलिंग के शिकार हो जाते है । कई पश्चिमी देशों में ऑनर किलिंग की घटनाएँ देखने को मिल रही हैं इसमें फ़्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि देश शामिल हैं । यह बात दीगर है कि यहां दुसरे देशों से आने वाले समुदाय के लोग ही ऑनर किलिंग के शिकार होते है । भारत के आलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, इजिप्ट, लेबनान, टर्की, सीरिया, मोरक्को, इक्वाडोर, युगांडा, स्वीडन, यमन, तथा खाड़ी के देशों में ऑनर किलिंग जैसे अपराध प्रचलन में हैं ।

दरसल सगोत्रीय और अंतरजातीय विवाह ही इस ऑनर किलिंग समस्या की जड़ में है । उत्तर भारत में सामाजिक मान्यता है कि सगोत्रीय और अंतरजातीय विवाह नहीं होने चाहिए । यहां समान गोत्र में विवाह परंपरा के विरुद्ध माना जाता है तो अंतरजातीय विवाह अपराध। सवाल यह है कि अगर एक गोत्र के लड़कों को भाई-बहन माना जाय तो फिर अंतरजातीय विवाह से क्या समस्या है ? समाज को दोनों से ही समस्या है । अगर एक सगोत्रीय परिवार के युवा आपस में विवाह करते है तो पंचायतें उन युवाओं की हत्या का फतवा जारी कर देती है, साथ ही उन युवाओं के परिवारों से सजातीय समाज द्वारा रोटी-बेटी का संबंध तोड़ लेने की चेतावनी दी जाती है ।

वहीं अंतरजातीय विवाह करने वाले युवाओं के परिवारों को क्रूर सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है । इस स्थिती में सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहा परिवार ( जिसमें परिवार के अन्य युवाओं की सजातीय विवाह रुक जाना भी शामिल है) इस स्थिती के लिए अपने ही बच्चे को दोषी मानने लगता है, और मौका मिलने पर ऑनर किलिंग जैसा जघन्य अपराध कर बैठता है । सगोत्रीय विवाह के बारे में कुछ लोगों का तर्क है कि हिन्दू धर्म के लोगों की पहचान गोत्र से होती है । इसका मतलब यह निकाला जाता है कि एक गोत्र के सभी लोग एक परिवार के होते है । वे इस मामले में विज्ञान का हवाला देते हुए कहते है कि एक गोत्र का मतलब जेनिटिक्स समानता । अगर एक ही परिवार या गोत्र में विवाह होता है तो उनके बच्चों में जेनिटिक्स विकृतियाँ उत्पन्न हो सकती है । यह तर्क सगोत्रीय विवाह के विरोधियों का है किन्तु इस तरह का कोई वैज्ञानिक शोधपत्र अभी तक तो सामने नहीं आया है ।

दरसल ऑनर किलिंग समस्या का एक बड़ा कारण राजनैतिक है । अपने वोट बैंक को मजबूत करने के खातिर राजनैतिक पार्टियों और राजनेताओं द्वारा देश में जातीयता को बढ़ावा दिया जा रहा है । सगोत्रीय विवाह के सवाल पर रोहतक में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खाप पंचायतों के साथ खड़े नजर आते है और खाप पंचायतों को गैर सरकारी संगठन साबित करते है । तो कही नवीन जिंदल हिन्दू विवाह कानून में संशोधन कर सगोत्रीय विवाह पर रोक लगाने जैसी खाप पंचायतों की मांग को पार्टी में उठाने का आश्वासन देते नजर आते है ।

इज्जत के खातिर मौत देने का सिलसिला आखिर कब रुकेगा ? आखिर कब तक मान सम्मान के नाम पर युवाओं की हत्या होती रहेगी ? कौन है ! जो इस जघन्य कृत्य को चुनौती देने की हिम्मत करेगा ? इसका जवाब कानून नहीं है, इसका जवाब हम सभी को अपने आप से पूछना है, इस समाज से पूछना है, जिसके बीच हम रहते है ।. हमें अपने आप को बदलना होगा, रूढ़िवादिता के चंगुल से स्वयं को और समाज को छुड़ाना होगा, जातिवाद के दलदल से बाहर आकर, ऊँच-नीच के भेद-भाव को ख़त्म करना होगा, और सबसे बड़ी बात तो यह है कि उन परिवारों को भरोसा देना होगा कि अगर तुम्हारे बच्चे सगोत्रीय या अंतरजातीय विवाह करते है तो तुम्हे अपने समाज में सामाजिक बहिष्कार का दंश नहीं झेलना होगा. परिवार के दुसरे बच्चे के विवाह को लेकर सजातीय बहिष्कार नहीं किया जायेगा. तुम्हे किसी तरह की छीटाकशी और तानाकशी का सामना नहीं करना पड़ेगा. अगर हम यह सब नहीं कर पाए तो शायद आने वाला विधेयक या कानून भी ऑनर किलिंग पर लगाम लगाने में सक्षम नहीं होंगें ?