मंगलवार, 6 मई 2008

देशमुख के मोहरा है "राज"

दिनांक ३ मई को मुम्बई के शिवाजी मैदान में मनसे के सर्वेसर्वा राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों पर कड़ी ( गाली गलौज के स्तर की) टीका टिप्पणी की दो वर्ष पहले राज अपने चचा बालठाकरे का साथ केवल इसलिए छोड़ा क्योकि उनकी महत्वाकांक्षा वहाँ पूरे होने के आसार नही थे इसलिए वे शिवसेना से निकलकर महाराष्ट्र नव निर्माण सेना नामक पार्टी बनाई किंतु जब राज अपने आपको राजनैतिक हासिये पर जाता हुआ महसूस करने लगे तो उन्होंने अपनी दिशा बदल दी और वे पिछले कुछ दिनों से नफरत और हिंसा फैलाने का काम शुरू कर दिया वस्तुतः राज के पास कोई मुद्दा नही है जिससे वे महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें । इसीलिए उत्तर भारतीय टैक्सी ड्राइवरों पर हमले और उत्तर भारतीयों के खिलाफ बयानबाजी करना उनकी मजबूरी बन गयी है । राज अपने वजूद को बनाये रखने के लिए इसके अलावा और कुछ कर भी नही सकते ।
कांग्रेस और एनसीपी (अघाड़ी सरकार) के खिलाफ कुछ कह नही सकते क्योकि राज का देशमुख सरकार से तालमेल है तथा अन्य जो भी कांग्रेसी नेता है वे राज से काफी ताक़तवर है अगर उनके खिलाफ राज ने कुछ कहा तो वे राज को धुल चटा सकते है । जहाँ तक एनसीपी का सवाल है तो श्री शरद पवार के रहते राज की इतनी हिम्मत नही कि वे एनसीपी पर कोई कड़ी टिपण्णी कर सकें एनसीपी के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री के समकक्ष देश के कद्दावर नेता श्री शरद पवार ने राज की रैली से ठीक पहले राज को निशाना बनाते हुए कहा कि अलगाववादियों को कत्तई वरदास्त नही किया जाएगा, आपको बतादे कि आमतौर पर अलगाववादी शब्द आतंकवादियों के लिए उपयोग मे लाया जाता है । इसके बावजूद भी राज की हिम्मत नही हुई कि पवार के इस् बयान पर कोई टिपण्णी कर सकें । अब बची भाजपा-शिवसेना ये दोनों ही पार्टियाँ राज पर भारी है भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने इसपर महाराष्ट्र सरकार की उदाशीनता के तरफ़ इशारा करते हुए केवल इतना कहा कि समाज मे नफरत फैलाने के काम को रोका जाना चाहिए । ऐसे मी राज के पास केवल एक ही चारा है कि वे उत्तर भारतीयों के खिलाफ टिपण्णी करके अपना एवं अपनी पार्टी मनसे का प्रचार-प्रसार कर सकें ।
पता चला है कि ०६ मई को राज के विरुद्ध किसी तरह की करवाई न किए जाने के मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र राज्य के उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री श्री आर आर पाटील को काफी खरी-खोटी सुननी पडी श्री आर आर पाटील को श्री अजित पवार और श्री नारायण राणे ने खरी-खोटी सुनाई इससे नाराज होकर श्री पाटील अपना स्तीफा देने तक की धमकी दे डाली पर मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख के बीच-बचाव करने पर मामला शांत हुआ । इसके पहले भी राज ठाकरे पर करवाई किए जाने पर हुई देरी को लेकर एनसीपी अध्यक्ष श्री शरद पवार ने श्री पाटील को आडे हाथों लिया था ।
वस्तुतः इस नूरा कुस्ती के केन्द्र मे शिवसेना को कमजोर करने की कयावत चल रही है क्योकि शिवसेना ने पिछले दिनों जब राष्ट्रपति के चुनाव की बात आई तो शिवसेना सुप्रीमो श्री बालासाहेब ठाकरे प्रतिभा ताई को मराठी माणूस के नाम पर समर्थन दिया तथा इस् मुद्दे पर एनडीए को ठेंगा दिखा दिया शिवसेना सुप्रिमों प्रतिभा ताई पाटील को समर्थन देते समय अपने आप को मराठी माणूस का सबसे प्रबल पैरोकार बताने की कोशिश की, बाकी अन्य तमाम मुद्दे मसलन महाराष्ट्र के किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या, मंहगाई को लेकर शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज के चचेरे भाई श्री उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री श्री विलास राव देशमुख को बुरी तरह घेर दिया है इसलिए देशमुख को उद्धव को दबाने के लिए एक मोहरा चाहिए था जोकि राज के रूप मे उनके हाथ लग गया है अब देशमुख लोहा लोहे से काट रहे है इसमे भले ही उत्तर भारतीय अपमानित हों और मारे जाय तथा मराठी माणूस के नाम पर हिन्दी भाषियों के बीच आतंक फैलाया जाय इन बातों से देशमुख को कोई फर्क नही पड़ता देशमुख का मकसद एक मुस्त मराठी वोटर को शिवसेना के तरफ जाने से रोकना है इसके लिए अब उन्हें शिवसेना के मराठी माणूस के प्रबल पैरोकार के काट के रूप मे "राज" नामक तुरुप का पत्ता हाथ लग गया है कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है की उत्तर भारतीयों को इंधन के रूप मे इस्तेमाल कर राजनीति की रोटियां सेकी जा रही है ।
उधर राहुल बाबा उत्तर प्रदेश मे कांग्रेस को स्थापित करने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगा रहे है और इधर विलास राव देशमुख यू पी सहित उत्तर भारतीयों के मन मे जो भी थोडी बहुत कांग्रेस के प्रति राहुल गाँधी द्वारा आस्था पैदा की जा रही थी उसे सफाचट करते जा रहे है यानि बाड़ ही खेत को खा रहा है क्या करेंगे उत्तर भारतीय और क्या करेंगे राहुल बाबा ?