मंगलवार, 14 सितंबर 2010

उसके घर का न्याय हो रहा... देखो तो

उसके घर का
न्याय हो रहा
देखो तो

प्रहसन का
पर्याय हो रहा
देखो तो

उसका घर,
जो कण-कण में है
उसका घर

उसका घर,
जो जल में भी है
थल में भी है

है उस
नील गगन में भी
उसका घर

उसका घर,
तुम क्या बनवाओगे
जो तुम्हे बनाया

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

शानदार अभिव्यक्ति।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'