मुम्बई : सन् २००६ के विवादास्पद एन्काउंटर मामले में गुरुवार को १७ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इनमे १४ पुलिस वाले हैं। इन सबके खिलाफ आईपीसी की धारा ३०२, ३६४ और ३४ के तहत वसोर्वा पुलिस में मामला दर्ज किया गया है।
जिन पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, उनमें एमआईडीसी के सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप सूर्यवंशी, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, अरविंद सरवडकर, नितिन सरतपे, अंकुश पलांडे, गणेश हरगुडे आदि का नाम प्रमुख है।
एफआईआर दर्ज पुलिस वालों में पांच पीआई, एक एपीआई और दो पीएसआई हैं। इसके अलावा एक हेड कांस्टेबल, एक पुलिस नाईक और पांच कांस्टेबल भी हैं। पुलिस विभाग से अलहदा भी तीन पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
यहां बताना जरूरी है कि बंबई उच्च न्यायालय ने कथित फर्जी मुठभेड़ में छोटा राजन गिरोह के एक संदिग्ध सदस्य की मौत के मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने तथा मामले की जांच पुलिस उपायुक्त के तहत एक विशेष जांच दल से कराने का निर्देश गुरुवार को पुलिस को दिया था।।
जस्टिस बी. एच. मारलापल्ली और रौशन दलवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने तब कहा था कि पुलिस उपायुक्त के एम एम प्रसन्ना की अध्यक्षता वाला विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच करेगी और चार हफ्ते के भीतर अदालत को रिपोर्ट देगी।
छोटा राजन गिरोह का कथित सदस्य रामनारायण नवंबर २००६ में डी एन नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के हाथों मारा गया था। उसके भाई एडवोकेट रामप्रसाद गुप्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि रामनारायण को पुलिस ११ नवंबर को घर से उठा ले गई और फर्जी मुठभेड़ में उसे मार डाला गया।
हाई कोर्ट ने पहले एक मैजिस्ट्रेट से जांच कराने का आदेश दिया था जिसने बताया कि रामनारायण की मौत हिरासत में हुई। यह निष्कर्ष पुलिस के इस दावे के विपरीत था कि पुलिस के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया। खंडपीठ ने आदेश दिया था कि रामप्रसाद गुप्ता का बयान रिकार्ड किया जाए और उसे प्राथमिकी के रूप में लिया जाए।
जिन पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, उनमें एमआईडीसी के सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप सूर्यवंशी, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, अरविंद सरवडकर, नितिन सरतपे, अंकुश पलांडे, गणेश हरगुडे आदि का नाम प्रमुख है।
एफआईआर दर्ज पुलिस वालों में पांच पीआई, एक एपीआई और दो पीएसआई हैं। इसके अलावा एक हेड कांस्टेबल, एक पुलिस नाईक और पांच कांस्टेबल भी हैं। पुलिस विभाग से अलहदा भी तीन पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
यहां बताना जरूरी है कि बंबई उच्च न्यायालय ने कथित फर्जी मुठभेड़ में छोटा राजन गिरोह के एक संदिग्ध सदस्य की मौत के मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने तथा मामले की जांच पुलिस उपायुक्त के तहत एक विशेष जांच दल से कराने का निर्देश गुरुवार को पुलिस को दिया था।।
जस्टिस बी. एच. मारलापल्ली और रौशन दलवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने तब कहा था कि पुलिस उपायुक्त के एम एम प्रसन्ना की अध्यक्षता वाला विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच करेगी और चार हफ्ते के भीतर अदालत को रिपोर्ट देगी।
छोटा राजन गिरोह का कथित सदस्य रामनारायण नवंबर २००६ में डी एन नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के हाथों मारा गया था। उसके भाई एडवोकेट रामप्रसाद गुप्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि रामनारायण को पुलिस ११ नवंबर को घर से उठा ले गई और फर्जी मुठभेड़ में उसे मार डाला गया।
हाई कोर्ट ने पहले एक मैजिस्ट्रेट से जांच कराने का आदेश दिया था जिसने बताया कि रामनारायण की मौत हिरासत में हुई। यह निष्कर्ष पुलिस के इस दावे के विपरीत था कि पुलिस के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया। खंडपीठ ने आदेश दिया था कि रामप्रसाद गुप्ता का बयान रिकार्ड किया जाए और उसे प्राथमिकी के रूप में लिया जाए।
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