विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यू एच ओ ) ने स्वास्थ्य को शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कल्याण की अवस्था के रूप में मंजूरी दी है । स्वास्थ्य के अधिकार को मानव अधिकार की सार्वभौम घोषणा के अनुबंध २५ के अंतर्गत प्रतिष्ठापित किया गया था जिसमे घोषित किया गया था : "प्रत्येक व्यक्ति को, अपने स्वयं के तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए उपयुक्त जीवन स्तर का अधिकार है जिसमे भोजन, वस्त्र, आवास और चिकित्सा देख-रेख तथा बीमारी और अशक्तता की स्थिति में सुरक्षा का अधिकार शामिल है ।" इसके अतिरिक्त आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकार संबंधी अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा ( आई सी एस सी आर ) में भी अनुबंध १२ के अंतर्गत यह मान्यता दी गई है "प्रत्येक व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य स्तर का उपभोग करने का अधिकार है ।"
इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य के अधिकार की उचित देख-भाल यह अनिवार्य रूप से संगत है कि इसे आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक ( ई एस सी आर ) दृष्टिकोण से देखा जाए देश के वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था में काफी खामियां है । जैसे आपातकालीन चिकित्सा एवं देख-भाल की अत्यन्त असंतोषजनक व्यवस्था, जिसके कारण भारी संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही है जो कि गंभीर चिंता का विषय है । इस विषय पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अप्रैल २००३ में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डा पी के दवे की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ ग्रुप का गठन किया गया । उपरोक्त विशेषज्ञ दल ने दिनांक ०७ अप्रैल २००४ को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की । अपनी रिपोर्ट में दल ने उल्लेख किया कि भारत में विभिन्न स्थानों पर दुर्घटनाओं में घायल होने के कारण प्रति वर्ष ४,००,००० व्यक्ति अपनी जान गंवाते है, करीब ७५,००,००० व्यक्ति अस्पताल में भर्ती किए जाते है तथा ३,५०,००० व्यक्ति मामूली चोटों में आपातकालीन देख-भाल पाते है । देश में वर्तमान आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था ( ई एम् एस ) कम अनुकूल वातावरण में काम कर रही है तथा इन्हे सुधारने की आवश्यकता है । रिपोर्ट में उन कमियों का खुलासा किया गया जो कमियां वर्तमान आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था में मौजूद है । तथा अल्पावधि के साथ साथ दीर्घावधि योजनाओं में कार्यान्वयन के लिए कई सुझाव दिए गए जो कि निम्नलिखित है ----
अल्पावधि उपाय
(१) राष्ट्रीय दुर्घटना नीति की घोषणा ।
(२) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था के लिए एक केंद्रीय समन्वयकारी, मददगार, सुविधा, परिविक्षण तथा नियंत्रक समिति की स्थापना ।
(३) मेडिकल कालेजों के संयोजन के लिए ३-४ जिलों की नियुक्ति, जो प्रत्येक राज्य तथा संघ शासित क्षेत्रों में संबंधित केन्द्र के रूप में कार्य करेंगे ।
(४) देश में सभी राज्यों के सभी जिलों एवं संघ राज्य क्षेत्रों में केंद्रीकृत दुर्घटना और आघात सेवाओं की स्थापना का कार्य करेंगे ।
(५) स्वास्थ्य देख-भाल के सभी स्तरों पर नीति की योजना एवं नेटवर्क के परिपेक्ष्य में सहायता के लिए एक कम्प्यूटरीकृत सूचना आधार का विकास किया जाएगा ।
(६) सरकार डाटा संग्रह तथा विश्लेषण के लिए राष्ट्रीय आघात रजिस्ट्री की स्थापना कर सकतीं है ।
(७) आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था स्वास्थ्य देख-रेख उपयोग के लिए सभी विद्यमान सुविधाओं के लिए सूचना प्रसार ।
(८) ई एम् एस के उन्नयन के लिए राज्य प्रस्ताव बनाए ।
(९) ई एम् एस के प्रशिक्षण को मेडिकल कालेजों तथा अन्य प्रादेशिक क्षेत्रों में आयोजित किया जाए ।
दीर्घावधि उपाय
(१) राष्ट्रीय दुर्घटना नीति की प्रस्तावित सिफारिशों का कार्यान्वयन ।
(२) क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित कर्मचारियों सहित सुसज्जित आघात केन्द्र की स्थापना ।
(३) सभी जिला अस्पतालों में विशेषीकृत बहुअनुशासनिक आघात देख-भाल सुविधाये होनी चाहिए ।
(४) आपातकालीन औषधि केन्द्र की स्थापना एक विशेषता के रूप में करना ।
(५) आपात स्थिति में टोल फ्री सूचना नंबर समर्पित करना, जो पूरे राष्ट्र के लिए सार्वजनिक होना चाहिए ।
(६) स्वर्ण चतुर्भुज रोड परियोजना के संबंध में प्रति ३० किलोमीटर पर एक सूचना काल सेंटर के साथ-साथ सुसज्जित और कर्मचारी सहित एक एम्बुलेंश खड़ी करनी चाहिए । अर्ध चिकित्सीय स्टाफ द्वारा कार्य किए जाने वाले आपात देख-भाल केन्द्रों को प्रति ५० किलोमीटर पर स्थापित करना चाहिए । साथ ही सभी राष्ट्रीय राजमार्गों में भी इसी प्रकार की सुविधाए होनी चाहिए ।