पश्चिम बंगाल के पंचायती चुनाव में वहाँ की जनता ने वाम मोर्चे को करारा जवाब दे दिया है । पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ वाममोर्चे के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बने नंदीग्राम और सिंगुर में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के हांथों वाम मोर्चे के उम्मीदवारों को मुह की खानी पडी है ।
सिंगुर की तीन जिला परिषद सीटों पर वाम मोर्चे के उम्मीदवारों को तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों के हाथों हार का मुह देखना पडा है इन चुनाओं में उद्योग के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण की बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार की नीति की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है ।
इस पंचायती चुनावों में पश्चिम बंगाल पुलिस के अनुसार चुनाव के दौरान हिंसा में ८ लोगों की मौत हुई तथा १३ लोग घायल हुए पुलिस का कहना है की पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ वाम मोर्चे के समर्थकों और कार्यकर्ताओं नें दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हथियारों से हमले किए ।
दरसल नंदीग्राम और सिगुर में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस ई जेड़ ) खास करके हुगली जिले के सिंगुर में टाटा मोटर्स की एक लाख रूपये की ड्रीम कार परियोजना हेतु राज्य सरकार ने ९९७ एकड़ जमीन टाटा समूह को सौपने का निर्णय लिया था इसके अलावा हल्दिया और नंदीग्राम में बनने वाले एस ई जेड़ को इण्डोनेशियाई कम्पनी को सौपने की तैयारी चल रही थी, वस्तुतः पश्चिम बंगाल सरकार बडे औद्योगिक घरानों को खुश करने के लिए किसानों से उनकी उपजाऊ जमीन छीन रही थी । जमीन बचाने के लिए आन्दोलन कर रहे नंदीग्राम के किसानों पर १४ मार्च २००७ को पुलिस ने गोलियां चलाई थी जिसमे कम से कम १४ आन्दोलनकारी मारे गए थे ।
यही कारण है कि साल २००३ में हुए पंचायती चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को जिला परिषद में केवल २ सीटें मिली थी किंतु २००८ के अभी तक घोषित ५३ सीटों के परिणाम में ३२ सीटों को वहाँ के लोगों ने तृणमूल की झोली में डाल दिया है । बतादें कि जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी किसानों के हितों के लिए आन्दोलनरत थी ।
आशय यह है कि जन विरोधी नीतियों का खामियाजा तो वाम मोर्चे को भुगतना ही होगा, उम्मीद की जानी चाहिए की वाम मोर्चा इस् चुनाव से सबक लेगी और अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करेगी ।
सिंगुर की तीन जिला परिषद सीटों पर वाम मोर्चे के उम्मीदवारों को तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों के हाथों हार का मुह देखना पडा है इन चुनाओं में उद्योग के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण की बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार की नीति की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है ।
इस पंचायती चुनावों में पश्चिम बंगाल पुलिस के अनुसार चुनाव के दौरान हिंसा में ८ लोगों की मौत हुई तथा १३ लोग घायल हुए पुलिस का कहना है की पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ वाम मोर्चे के समर्थकों और कार्यकर्ताओं नें दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हथियारों से हमले किए ।
दरसल नंदीग्राम और सिगुर में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस ई जेड़ ) खास करके हुगली जिले के सिंगुर में टाटा मोटर्स की एक लाख रूपये की ड्रीम कार परियोजना हेतु राज्य सरकार ने ९९७ एकड़ जमीन टाटा समूह को सौपने का निर्णय लिया था इसके अलावा हल्दिया और नंदीग्राम में बनने वाले एस ई जेड़ को इण्डोनेशियाई कम्पनी को सौपने की तैयारी चल रही थी, वस्तुतः पश्चिम बंगाल सरकार बडे औद्योगिक घरानों को खुश करने के लिए किसानों से उनकी उपजाऊ जमीन छीन रही थी । जमीन बचाने के लिए आन्दोलन कर रहे नंदीग्राम के किसानों पर १४ मार्च २००७ को पुलिस ने गोलियां चलाई थी जिसमे कम से कम १४ आन्दोलनकारी मारे गए थे ।
यही कारण है कि साल २००३ में हुए पंचायती चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को जिला परिषद में केवल २ सीटें मिली थी किंतु २००८ के अभी तक घोषित ५३ सीटों के परिणाम में ३२ सीटों को वहाँ के लोगों ने तृणमूल की झोली में डाल दिया है । बतादें कि जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी किसानों के हितों के लिए आन्दोलनरत थी ।
आशय यह है कि जन विरोधी नीतियों का खामियाजा तो वाम मोर्चे को भुगतना ही होगा, उम्मीद की जानी चाहिए की वाम मोर्चा इस् चुनाव से सबक लेगी और अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करेगी ।