मंगलवार, 16 अगस्त 2011

इस देश को बचाना है

एलाने-जंग हो गया
मोह भंग हो गया

अब जंग भ्रष्टाचार से
केंद्र की सरकार से

यह पुनीत कार्य है
क्या तुम्हे स्वीकार्य है

राष्ट्र की पुकार सुन
अन्ना की हुंकार सुन

अमर सपूत हो अगर
उठो चलो धरो डगर

मां भारती का कर्ज है
हम सबका यही फर्ज है

इस देश को बचना है
जेल में भी जाना है

2 टिप्‍पणियां:

Madhulika ने कहा…

Corruption is disease that our country is suffering from...
Nicely written :)

Rajeshwari Media Consultants ने कहा…

अन्ना हजारे और उनके स्वयंसेवकों की टीम 'भ्रष्टाचार' के खिलाफ जिस तरह की जागरूकता पैदा कराने की कोशिश कर रही है, वह काबिले-तारीफ है। अब तक न तो सत्ता पक्ष ने और न ही विपक्ष ने सिविल सोसाइटी के सदस्यों को विश्वास में लिया है। विपक्ष इसी बात पर प्रसन्न हो रहा था कि इससे सरकार की फजीहत हो रही है। दूसरी तरफ सरकार के प्रतिनिधि अपनी अदूरदर्शिता और अहंकार के कारण टीम अन्ना को साथ नहीं ले पाए। सरकार अपने मकसद में साफ होने के बावजूद अपनी रणनीति को लेकर भारी दुविधा में रही। दरअसल वह ब्रांड अन्ना की ताकत को पहचान नहीं सकी। वह उन परिस्थितियों को समझ नहीं सकी , जिसने इस आंदोलन की जमीन पैदा की। सरकार के पास जमीनी समझ और राजनीतिक सूझ का घोर अभाव दिखता है। वह समस्याओं को कानूनी नुक्तों और नौकरशाही फरमानों से निपटाना चाहती है। असल में यूपीए सरकार में जनता की नब्ज की समझ रखने वाले राजनेताओं के बजाय वकीलों और अफसरी मिजाज वाले मंत्रियों का वर्चस्व हो गया है , जो बड़ी - बड़ी बातें करना जानते हैं , लेकिन जनमानस को टटोल नहीं पाते।