पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की फाँसी की सज़ा माफ़ करने की वकालत की है । उनका व्यक्तिगत मानना है कि सरबजीत को माफ़ कर दिया जाना चाहिए । उन्होंने राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को सरबजीत मामले की समीक्षा करने को कहा है तथा सुझाव दिया है कि वे सरबजीत की फाँसी की सज़ा पर रोक लगा दें । इससे पहले पाकिस्तान के मानवाधिकार मामले के पूर्व मंत्री अंसार बर्नी ने राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ से कहा था कि उन्हें पाकिस्तान में मौत की सारी सज़ाओं को उम्रक़ैद में तब्दील करने पर विचार करना चाहिए । उनका यह सुझाव भी सरबजीत की फाँसी की सज़ा माफ़ करने के संदर्भ में था । हालांकि पाकिस्तान सरकार ने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की फाँसी पर अगले आदेश तक के लिए रोक पहले ही लगा दी है। लेकिन अभी सज़ा माफ़ नहीं की गई है ।
पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ने एक भारतीय टेलीविज़न चैनल सीएनएन-आईबीएन को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को सुझाव दिया है कि सरबजीत की फाँसी की सज़ा माफ़ कर देनी चाहिए । उन्होंने कहा, "सरबजीत की फाँसी की सज़ा पर गृहमंत्रालय, विदेश मंत्रालय, क़ानून और मानवाधिकार मंत्रालय को भी विचार करना चाहिए । " गिलानी ने यह भी कहा है कि सरबजीत की फाँसी पर पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय विचार कर रहा है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का यह सुझाव भारत की ओर से की गई अपील के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान को सरबजीत की फाँसी की सज़ा माफ़ कर देनी चाहिए ।
शुरूआत मे राष्ट्रपति मुशर्रफ ने सरबजीत की फासी ३० दिन के लिए टाल दी थी, ऐसा इसलिए किया गया था ताकि पाकिस्तान की नई सरकार सरबजीत को क्षमादान करने के सम्बन्ध मे भारत सरकार के अपील की समीक्षा कर सके । गिलानी के हस्तक्षेप की वजह से पाकिस्तानी अधिकारियों ने अगले आदेश तक सरबजीत की फांसी स्थगित कर दी थी । सरबजीत को १९९० मे पंजाब प्रांत मे हुए चार बम धमाकों मे कथित तौर पर शामिल रहने को लेकर मौत की सजा सुनाई गई थी ।
सरबजीत के परिजनों ने भी पाकिस्तान सरकार से ऐसी ही अपील की थी । पिछले दिनों सरबजीत के परिजन उनसे मिलने पाकिस्तान गए थे । इसके अलावा दोनों देशों के कई मानवाधिकार संगठन और नेता सरबजीत की फाँसी की सज़ा माफ़ करने की माँग करते आए हैं ।