पिछले दिनों १ अप्रैल २००८ को छत्तीसगड के रायपुर जनपद के ओसीएम चौक पर (नलघर) के पास रिद्धी-सिद्धि अपार्टमेंट से एक युवती को पीटने व उसे अर्धनग्न हालत मे सरेराह दौड़ने के लिए मजबूर किया उस महिला पर यह आरोप लगाया गया कि वह जिस्मफरोशी का धंधा करती है । महिला पर लगाया गया आरोप कितना सही था यह जांच का विषय है वैसे यह आरोप सही हो या ग़लत किंतु महिला के साथ किया गया व्यवहार एक सभ्य समाज के हो ही नही सकते रायपुर छत्तीसगड की राजधानी है । राजधानी मे एक औरत को शर्मसार होने के लिए मजबूर किया जाता हो और वहाँ की पुलिस उन लोगों के साथ दौड़ती हुई दिख रही हो जो उस महिला को अर्धनग्न अवस्था मे खुली सड़क पर खदेड़ रहे हों ।
दूसरी घटना दिल्ली के मांडवली इलाके की है । वहाँ पर एक महिला ने जब अपने मकान मालिक पर बलात्कार का आरोप लगाया तो वहाँ के लोगों ने महिला पर शराब पीने का आरोप लगाकर मकान मालिक के इशारे पर घर से बाहर लाया जाता है क्या औरत क्या मर्द सभी उस महिला पर अपना हाथ साफ करने मे लग जाते है । रायपुर भी राजधानी है दिल्ली भी राजधानी है लेकिन न रायपुर मे महिलाये महफूज है न दिल्ली मे । १ अप्रैल को रायपुर मे हुई घटना का मुख्य कारण जिस्मफरोशी तथा ११ अप्रैल को दिल्ली के मांडवली इलाके मे हुई घटना का मुख्य कारण महिला का शराब पीना रहा होगा किंतु इनके साथ किया गया व्यवहार सभ्य समाज की अभिव्यक्ति कत्तई नही हो सकती ।
बर्बर तरीके से इन दोनों महिलाओं को बुरी तरह प्रताडित करने वाले लोगों को क्या सजा मिल पायेगी ? यह तो वक्त ही बतायेगा किंतु अगर इन्हे सजा नही दी गयी तो शायद महिलाओं पर लगातार किए जा रहे हमलों मे वृद्धि ही होने वाली है ।